गिलहरी और जादुई बीज

गिलहरी और जादुई बीज

बहुत समय पहले , हरे भरे पेड़ो और रंग बिरंगे फूलों से सजे एक सुंदर जंगल मै ,सारे जानवर मिल जुल कर रहते थे ।

पर एक बार अचानक से उस सुंदर से जंगल मै सूखा पड़ गया था । नदी तालाब झरने पेड़ सब सुख गए थे । इस वजह से जंगल और जंगल के जानवरों की हालात बहुत ही खराब हो गई थी।

उसी जंगल मै एक छोटी सी गिलहरी रहती थीं । जिसका नाम था गुड़िया । गुड़िया को ऊंचे ऊंचे पेड़ो पे चढ़ाना , नए नए रास्ते ढूंढना और जंगल की चीजें इकठ्ठा करना बहुत ही ज्यादा पसंद था ।

एक दिन गुड़िया सुबह सुबह अपने नाश्ते के लिए अखरोट ढूंढने निकली । वो एक पुराने पीपल के पेड़ की जड़ों के पास खुदाई कर रही थी , तभी उसे जमीन मै कुछ चमकता हुआ दिखाई दिया उसने उसे बाहर निकाला तो देखा एक पीला  चमचमाता , गोल बीज उसके पंजों मै था । वो बीज ऐसा लग रहा था मानो आसमान के तारे का कोई टुकड़ा धरती पर गिरा हो ।

गुड़िया बीज को लेके सीधा अपनी दादी के पास पहुंची , जो जंगल की सबसे समझदार गिलहरी थी । दादी गिलहरी ने बीज को देखते ही गहरी सांस ली और बोली, बेटी गुड़िया ये कोई आम बीज नहीं है । ये तो वो जादुई बीज है जिसके बारे में हमारी पुरानी कहानियों में लिखा है।

गुड़िया के आंखे चमक उठी , जादुई बीज ये क्या करता है दादी ?
दादी मुस्कुराई , जो भी इस बीज को सही समय पर सही जगह बोएगा , और उसकी इच्छा स्वार्थी नहीं बल्कि परोपकार से भरी होगी उसकी एक सच्ची मनोकामना जरूर पूरी होगी ।

गुड़िया उस रात सो नहीं पाई । रात भर सोचती कि इस जादुई बीज का उपयोग किस तरह किया जाए । उसके मन में कभी ख्याल आता कि , क्या मै दुनिया की सबसे तेज और ताकतवर गिलहरी बन जाऊ या सबसे ज्यादा अखरोट मेरे पास आ जाए, यही सब सोचते सोचते वो जैसे तैसे रात मै सोती हैं।

अगली सुबह वह फिर बाहर घूमने निकलती है लेकिन मन अभी भी इसी बात पर अटका था वो इस बीज का उपयोग कैसे करे ।
लेकिन जब वह जंगल घूम रही थी तो उसके आस पास  का दृश्य उसे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है।
कही हिरण पानी की एक बूंद को तरस रहे है , बंदरो के बच्चे भूख से रो रहे है , छोटे तालाब सुख चुके है , जंगल का हर भरा रंग भी मुरझा चुका था , सूखे ने सबको दुखी कर दिया था ।

गुड़िया को समझ आ गया था कि बीज का सही इस्तेमाल क्या होना चाहिए । उसने अपने सारे दोस्तों को बुलाया खरगोश , लोमड़ी , तोता , भालू और सबके साथ मिलकर एक साफ जगह खोजी , जो कभी एक बड़ी झील हुआ करती थी ।
गुड़िया ने बीज को वही जमीन मै बोते हुए आंख बंद की ओर सच्चे दिल से बोली ,

है जादुई बीज , मै कोई चीज अपने स्वार्थ के लिए नहीं मांग रही हू। मेरा बस इतना चाहना है कि हमारा जंगल फिर से हरा भरा हो जाए , नदिया बहने लगे और सभी जानवर फिर से खुश रहे ।
तभी अचानक से चारों ओर तेज हवा चलने लगी । बीज मै एक जगह से पीली रोशनी उठने लगी कुछ ही पलो मै बादल गरजे और बारिश शुरू हो गई । सुखी झील पानी से भरने लगी , पेड़ो पे फिर से हरे पते आ गए , जमीन पे छोटे छोटे फूल खिलने लगे ।
जानवर खुशी से कूदने लगे । सभी जानवर गुड़िया के पास आए और बोले , तुमने हमारे बारे में सोचा तुम हमारे जंगल की सच्ची नायिका हो।

उस दिन गुड़िया को दूसरे की मदद करके बहुत अच्छा लग रहा था । उसने अपने बारे में न सोचकर बल्कि अपने जंगल के साथियों के बारे मै सोचा । स्वार्थी होने की जगह उसने नि स्वार्थ भाव से सेवा करने का रास्ता चुना।
सीख :- सच्ची बहादुरी ओर समझदारी अपने ही लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई मै होती है । जब हम नि: स्वार्थ भाव से दूसरों के लिए अच्छा सोचते है तो हमारे साथ भी सब अच्छा ही होता है ।

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