10 साल की तनवी बनी स्वच्छता चैंपियन – एक प्रेरणादायक कहानी
तन्वी और स्वच्छ टोली
तनवी एक छोटे से शहर मै रहने वाली एक होशियार ओर जिम्मेदार लड़की थी । उसकी उसकी उम्र तो बस 10 साल की थी पर सोच समझदार लोगों जैसी थी । हर सुबह जब भी वह स्कूल जाती , तो उस रस्ते मै एक गली आती , जिसमे इधर-उधर प्लास्टिक की थैलियां , चिप्स के रैपर टूटे बोतल ओर पुरानी जूते पड़े रहते ।
एक दिन उसने अपनी दोस्त पूनम से कहा, “इतनी गंदगी देखकर मन ही नहीं करता स्कूल जाने का ”।पूनम बोली ,“ हमे क्या सफाई करना हमारा काम थोड़ी है ”।
तनवी थोड़ी देर सारी बातें सोचती रही । फिर शाम को घर आके सारी बाते अपनी मां को बताती है । तनवी की बाते सुन मां बोली बेटी , “ अगर सब यही सोचेंगे कि ये हमारा काम नहीं है तो , बदलाव कभी नहीं आएगा ”।
अगर तुम्हे बुरा लगता है , तो तुम ही शुरुआत करो , मै तुम्हारी पूरी मदत करुगी ।
अगली सुबह तनवी जल्दी उठी । उसने एक छोटा सा बैग , दस्ताने ओर हैंड सैनिटाइजर किया ओर घर से उस गली की तरफ निकल गई वह अकेली थी लेकिन न ही डरी न ही संकोच की । उसने एक एक करके सारी बोतले उठाई फिर चिप्स ओर टॉफियां का पैकेट उठाए । इसे ही एक एक करके उसने सारा कूड़ा–करकट उठाकर डस्टबिन मै डाल दिया।
रास्ते से गुजरने वाले लोग हैरानी से देख रहे थे । कुछ ने मजाक भी उड़ाया , “देखो छोटी सफाई करने वाली आ गई ”। लेकिन तनवी रुकी नहीं ।
दूसरे दिन उसने अपने पापा से कहकर दो पोस्टर बनवाए । “गंदगी नहीं सफाई है असली स्टाइल है" 😉 ओर “ ओर सोच बदलो शहर बदलेगा ” ओर स्कूल के बाहर उन पोस्टर को लगवा दिया।
एक हफ्ते मै उसकी दोस्त पूनम भी साथ जुड़ गई फिर देखते देखते तनवी के ओर दोस्त और कुछ बड़े उमर के लोग भी तनवी के साथ जुड़ गए ओर एक ग्रुप बान गया – "स्वच्छ टोली"
अब हर शनिवार ओर रविवार को सफाई करते ओर पोस्टर लगाते ओर दूसरे बच्चों को जागरूक करते। स्कूल के बाकी टीचर्स भी नोटिस करने लगे ओर बच्चों का साथ दिया । प्रिंसिपल सर ने एक स्पेशल असेम्बली मै सबके सामने उनकी तारीफ की उन्हें उत्साहित किया । यह सब देख मोहल्ले वाले भी ग्रुप मै जुड़ गए ओर अपना सहयोग देने लगे ।
नगर पालिका ने उन्हें " बाल स्वच्छता चैंपियन " का सम्मान दिया ।सीख :– जब तक हम खुद कदम नहीं उठाएंगे , तब तक दुनिया वैसे ही रहेगी । अगर हम साफ–सुथरी जगह पे रहना चाहते है तो उसकी जिम्मेदारी भी हमारी है । है हिंद है भारत








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