टिफिन का असली स्वाद
टिफिन का असली स्वाद
एक स्कूल में सिया नाम की एक लड़की पढ़ती थी। सिया हर दिन स्कूल टिफिन लेकर जाती थी। उसकी मम्मी बहुत प्यार से रोज नया खाना बनाती थी, कभी पराठे कभी पुलाव, कभी आलू मटर तो कभी पोहा।
वो अपने टिफिन को किसी से बांट के भी नहीं खाती थी। हालांकि उसे ऐसा करना चाहिए क्योंकि वो सारा खाना नहीं खा पाती थी, कुछ खाना वो रोज़ ही कूड़ेदान में फेंक देती थी।
सिया स्कूल से घर बस से आती जाती थी। उसके ही क्लास में एक माही नाम की लड़की पढ़ती थी। वह इसकी रोज इस हरकत को ध्यान देती थी। एक दिन माही सिया से बोली कि "सिया! तुम रोज टिफिन में से कुछ न कुछ कूड़ेदान में फेंक देती हो। या तो तुम उतना ही खाना लाया करो जितना तुम खा सको या फिर जो टिफिन में रहता है बाकी दोस्तों के बीच मिल बांट के खाया करो"।
माही की ये बात सुनकर सिया कहती है कि मैं रोज जितना खाना खाती हूं, मम्मी उतना ही खाना देती है। मेरा मन नहीं होता है खाने का तो जो बचता है मैं उसे फेंक देती हूं। और भला मैं किसी को अपना खाना क्यों दूं, सब अपना अपना खाएं। और तो और मुझे खाना भी बचाने की कोई जरूरत नहीं है मेरे घर पर तो बहुत सारा खाना होता है।
सिया की ये बात सुनकर माही चुप हो गई।
अगले दिन सिया स्कूल आती है और जब लंच होता है तो अपना टिफिन खोलती है, उसमें तीन पराठे होते है। एक पराठा सिया खा लेती है बाकि दो बच जाता है। वह उसे फेंकने वाली होती है लेकिन तभी उसे माही की बात याद आ जाती है और कुछ सोचकर आज का खाना नहीं फेंकती है। वैसे ही टिफिन बंद करके बैग में रख लेती है। जब स्कूल से छुट्टी होती है तो सब बस में बैठ कर घर वापस आ रहे थे। तभी सड़क पर ट्रैफिक लगने की वजह से बस सिग्नल पर रुक जाती है।
तभी सिया की निगाह सड़क के किनारे पर बैठी एक महिला पर जाती है। जोकि अपने रोते हुए बच्चे को शांत करा रही थी। वह महिला बच्चे को पानी पिलाते हुए कहती है कि " बेटा! आज पानी पी कर ही काम चला ले। आज खाने को कुछ नहीं मिला। लगता है आज हम भूखे ही रह जाएंगे।
सिया बस में बैठ कर ये सब देख रही थी तभी उसे याद आया कि उसके टिफिन में दो पराठे बचे हुए हैं। वो जल्दी से अपने बैग से टिफिन निकालती है और ड्राइवर अंकल को देते हुए कहती है कि–अंकल आप मेरा ये टिफिन वो सड़क के किनारे रो रहे बच्चे को दे दीजिए वो भूख लगने की वजह से ऐसे रो रहा है ।
ड्राइवर अंकल को सिया की ये बात ठीक लगी वो तुरंत टिफिन लेजाकर उस महिला को दे दिया । टिफीन का खाना लेकर महिला ने टिफिन वापस कर दिया फिर उस बच्चे ने बड़ी शांति से वो पराठे खाए और शांत हो गया । बच्चा खाना पाकर खुश हो गया था । उसकी भूख भी मिट गई थी।
यह दृश्य देखकर सिया को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था , उससे दूसरे की मदत करके बहुत खुशी मिल रही थी आज सिया को समझ आया था कि उससे खाना नहीं फेकना चाहिए था जो बचता है उसे मिल– बाट के खा लेना चाहिए वरना जरूरत मंद को बाट देना चाहिए ।
सीख :– हमारी छोटी–छोटी आदतें किसी के लिए बहुत बड़ी राहत बन सकती है । हमे कभी भी खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए हमे उतना ही भोजन थाली में लेना चाहिए जितना हमें भूख हो भोजन ही नहीं बल्कि जो वस्तु हमारे पास ज्यादा हो उसे बर्बाद नहीं करना चाहिए , जरूरत–मंद मै बाट देना चाहिए ।
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