टिंकू और जादुई तितली की दोस्ती
टिंकू और जादुई तितली की दोस्ती
एक गांव मै टिंकू नाम का एक बालक अपने माता पिता के साथ रहता था । सात साल का टिंकू बेहद चंचल ओर उत्साही था । उसका मन हमेशा खेतों , जंगलों ओर फूलों पे मंडराने वाली तितलियों मै ही लगा रहता था । वह तितली पकड़ने मै इतना मगन हो जाता था कि भूल जाता था कि वह कभी कभी उनके पंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है ।
उसके गांव मै एक बड़ा सा आम का बगीचा था , जहां रंग बिरंगे तितली आकर फूलों का रस पीती , उन्हें देख ऐसा लगता था कि किसी मेले मै रंग बिरंगी पतंगे उड़ रही है।
एक दिन टिंकू ने सोचा आज मै सुबह सुंदर तितली पकडूंगा or उसे अपने डिब्बे मै रखूंगा । मै उसे स्कूल में सबको दिखाऊंगा ।वो अपने हाथ मै एक छोटा सा डिब्बा ओर जाल लेके बाग मै गया । उसने एक नीले पीले रंग की एक बेहद खूब सूरत तिल्ली देखी जो एक गेंदे के फूल पर बैठी थी। टिंकू ने धीरे से उसके ऊपर जाल डाला और उसे पकड़ लिया। और टिंकू खुशी से चिल्लाया " मैने पकड़ लिया! मैंने पकड़ लिया!
पर तभी उस तितली ने कुछ फड़फड़ाने के बाद धीमी और कोमल सी आवाज में कहा " टिंकू! मुझे जाने दो। तुम्हे मुझे कैद नहीं करना चाहिए ये गलत बात है। ये सुनकर टिंकू चौक गया। उसने बोला अरे ये तितली तो बोल भी सकती है ?
तितली ने कहा " हां मै एक जादुई तितली हूं"। मैं तुम्हे एक अनोखी और खूबसूरत दुनिया दिखा सकती हूं। अगर तुम मुझे आजाद करोगे तो।
टिंकू कुछ पल सोचता रहा फिर बोला – ठीक है। अगर तुम मुझे कुछ खास दिखाओगी तो ठीक है। मै तुम्हे छोड़ता हूं। उसने धीरे से डिब्बा खोला और तितली हवा में उड़ गई। तितली फड़फड़ाते हुए बोली आओ मेरे साथ चलो।
टिंकू भागते हुए तितली के पीछे पीछे चल पड़ा। वे गांव के पीछे वाले जंगल में पहुंचे, जहां टिंकू पहले कभी नहीं गया था। वहां फूलों से ढके रास्ते, चहकती चिड़िया, झरनों की आवाज, और एक सुंदर सी चमकती रोशनी वाली जगह थी।
टिंकू ने हैरानी से पूछा – ये कहा है हम?
तितली बोली – " प्यारे टिंकू! ये है तितलियों का गुप्त बगीचा" यहां इंसानों को आने की अनुमति नहीं है लेकिन तुमने मुझे आजादी दी, इसलिए मैं तुम्हे यह दिखा रही हूँ।
टिंकू ने देखा दर्जनों तितलियां खुले आसमान में उड़ रही थी, और फूलों से रस पी रही थी, और कुछ मधुमक्खियां उनके साथ खेल रही थीं। एक छोटी सी पहाड़ी के पास झरना बह रहा था। और उसके किनारे सफेद खरगोश, तोते, मोर और नन्हे नन्हे जीव खेल रहे थे।
तितली बोली " टिंकू, हर प्राणी को आजादी चाहिए होता है। हम तितलियां फूलों से पराग ले जाती है, जिससे पौधे में फल और बीज बनते है। अगर तुम हमे कैद करोगे, तो ये सुंदरता धीरे धीरे खत्म हो जाएगी।
टिंकू की आँखें भर आई। उसने सिर झुका कर कहा, मुझे माफ कर दो। मै अब किसी भी तितली या जीव को परेशान नहीं करूंगा। मै तो सिर्फ खेल रहा था। मुझे यह नहीं पता था कि मेरी मस्ती किसी की जिंदगी को दुखी कर सकती है।
तितली मुस्कुराई और बोली, तुमने सच्चा पाठ सीख लिया है टिंकू! अब से तुम प्रकृति के रक्षक बनोगे हैं ना??
टिंकू ने जोश से सिर हिलाया, " हां! मै अब पेड़ लगाऊंगा, फूल लगाऊंगा, उनकी देख भाल करूंगा और किसी भी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। "
टिंकू और तितली अब दोस्त बन गए थे। उसी दिन से टिंकू ने अपना व्यवहार बदल लिया। अब वो तितलियों के पीछे भागता नहीं था बल्कि उनके लिए फूल उगाता था। गांव के बाकी बच्चों को भी वह प्रकृति की रक्षा करने का पाठ पढ़ाने लगा। गांव के लोगों ने देखा कि टिंकू अब पहले से ज्यादा जिम्मेदार हो गया था। स्कूल में भी टीचर ने उसकी खूब तारीफ की। एक दिन टिंकू पौधे में पानी दे रहा था। फिर से वहीं तितली आती है और टिंकू के पास आकर फड़फड़ाते हुए कहती है कि – तुमने अपनी दोस्ती निभाई टिंकू! तुम्हारी वजह से अब ये धरती और भी सुंदर बन रही है।
सीख: प्रकृति की सुंदरता को समझना और उसकी रक्षा करना ही सच्ची समझदारी है। हर जीव , चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, इस धरती के लिए जरूरी है। सच्ची दोस्ती प्यार, सम्मान और आजादी देने में होती हैं।
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