होशियार बिल्ली और उसके बच्चे

होशियार बिल्ली और उसके बच्चे

एक सुन्दर छोटे से गांव मै एक बिल्ली रहती थी जिसका नाम मिनी था। मिनी बहुत समझदार थी उसके तीन बच्चे थे , टोपा ,चुन्नी , मुन्नी । ये तीनों बच्चे बहुत ही नटखट ओर खेल खेल में मस्त रहते थे । मिनी हमेशा अपने बच्चों को समझाती थी कि ताकत से ज्यादा जरूरी समझदारी है ।

एक दिन गांव के पास के जंगल मै एक भूखा भेड़िया घूम रहा था । भेड़िए को देखकर सभी जानवर डर गए थे क्योंकि वह बहुत तेज ओर खतरनाक था ।अचानक बिल्ली के बच्चों को देखने लगता है।
उससे लगा कि ये बच्चे उसके खाने के लिए अच्छा शिकार है। भेड़िया बच्चों के देख तेजी से उनके पीछे भगा । तीनों बच्चे डर गए ओर अगल अलग जगह छुपने लगे । मिनी ने बच्चों की चीख सुनी ओर तुरंत समझ गई कि भेड़िए आ गया है ।
उसने जल्दी से सोचा मुझे कुछ समझदारी दिखानी होगी तभी बच्चे सुरक्षित रहे पाएंगे। मिनी ने अपने तेज दिमाग का इस्तेमाल किया । उसने गांव के किनारे एक पुरानी झोपड़ी के पास जाकर जोर जोर से सौर मचाने लगी सुनो सुनो यहां एक बड़ा शिकारी है , जो गांव के जानवरों को पकड़ने आया है।
जो कोई भी यह है जल्दी भागों। भेड़िया जो झाड़ियों मै खड़ा था वो डर गया । उसने सोचा कि गांव के लोग सच मै आ गए । वह यह सोचकर डर के मारे वह से भाग गया ।
मिनी ने तुंरत अपने बच्चों को बुलाया और कहा। , देखो बच्चों ताकत से जायदा जरूरी होती है समझदारी और चालाकी अगर तुम डर के बजाय सोच समझ कर काम लोगे तो कोई भी खतरा तुम्हे छू भी भी पाएगा ।
तीनों बच्चों ने अपनी मां की बात ध्यान से सुनी । उन्होंने वादा किया कि वो अब मुश्किलों मै डरेंगे नहीं बल्कि सोच समझ कर रास्ता निकालेंगे उस दिन से तीनों बच्चे तेज ओर समझदार हो गए थे । बाकी सारे जानवर भी मिनी की सोच ओर समझदारी की तारीफ करते है ।
सीख: – मुश्किल समय मै हमें डरना नहीं चाहिए। हमे धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। ताकत से ज्यादा जरूरी होती है अपनी बुद्धि ओर चालाकी। इससे हम हर समस्या का हल निकल सकते है

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