समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल
समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल
बहुत लम्बे पहले की बात है। एक सुन्दर साफ और बड़ी झील में कई तरह की मछलियाँ रहती थीं - लाल, नीली, पीली, छोटी, बड़ी। सभी खुशहाल थीं। झील के किनारे पेड़-पौधे भी थे और पानी में कमल के फूल खिले रहते थे। उसी झील में एक बुढ़ा मगरमच्छ रहता था।जब वह जवान था तो बहुत तेज़ तैरता था और मछलियाँ पकड़ कर खा जाया करता था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था, उसके दाँत कमजोर हो गये थे और शरीर में ताकत भी कम हो गई थी। उसे कई दिनों से मछली खाने को नहीं मिली थी, जिस कारण वह और भूखा हो गया था।
वह सोचने लगा - "अब मछली पकड़ना मेरे बस की बात नहीं है। क्यों न उन्हें धोखा देकर पकड़ा जाए अगले दिन वह झील के किनारे पेड़ के नीचे लेट गया और आँखों से पानी बहाने लगा। पास ही एक होशियार छोटी लाल मछली खेल रही थी। उसने मगरमच्छ को रोते देखा और पूछा, “मगरमच्छ जी, आप क्यों रो रहे हैं
मगरमच्छ ने गहरी साँस लेकर कहा: “बेटी, मैं बहुत बुरा हूँ। मैंने अपने जीवन में बहुत सारी मछलियों को खा लिया है। अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और पछता रहा हूँ। अब मैं किसी को नहीं खाऊँगा। मैं चाहता हूँ कि सभी मछलियाँ मेरी मित्र बनें। लाल मछली की बात पर सब मछलियाँ विश्वास कर गईं और सभी मछलियाँ को बुला लायी। सभी मछलियाँ आ गई पर मगरमच्छ से कुछ दूरी पे इकठ्ठा हो गई
मगरमच्छ ने मीठी मीठी बातों मै उन्हें फसाने की कोशिश की और कहा जो मछली “मुझे पहले गले लगाएगी उसे मै एक सुनहरा मोती दूंगा ,जो मैंने कई साल पहेल नदी के रहा से पाया था मछलियां बहुत खुश हुई । वे सोचने लगी कितना अच्छा है । अब मगरमच्छ हमारा दोस्त बान गया है ।
होशियार मछली ने तुंरत कहा “भागो बहनों! यह चालाक मगरमच्छ हमें फँसाना चाहता है। सब मछलियाँ होशियार मछली के साथ गहरे पानी में भाग गईं। मगरमच्छ मूर्ख बनकर रह गया। होशियार मछली है अपनी समझदारी और सावधानी से सबको बचा लिया।
सीख:– हर किसी की मीठी बातों पर जल्दी भरोसा नहीं करना चाहिए । अगर कोई ज्यादा अच्छा बन रहा हो , तो पहले सोचो ओर समझो बुद्धिमानी ओर सतर्कता से हम खुद को मुसीबत से बचा सकते है।
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