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Showing posts from May, 2025

रोहन और मधुमक्खी की सीख

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रोहन और मधुमक्खी की सीख  रोहन एक असली लड़का था । वह रोज सुबह उठकर बिस्तर पर पड़ा रहता और उसकी मां कहती रोहन बेटा उठ जा स्कूल का टाइम हो गया है।तो वह मुंह बनाकर कहता मुझे स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता है , रोज वही पढ़ाई वही बोरिंग बाते । मां समझाती बेटा स्कूल बहुत जरूरी है । वहां तुम बहुत कुछ सीखते हो , लेकिन रोहन एक ही रट लगाया रहता है – मुझे स्कूल नहीं जाना है । एक दिन रोहन स्कूल से बचने के लिए पास के बगीचे में छुप गया । वहां एक बड़ा सा फूलों से भरा पौधा था रोहन उसकी छांव में लेटा था । और आंख बंद करके आराम करने लगा तभी भरररर की आवाज आई । रोहन ने देखा कि एक छोटी सी मधुमक्खी फूलों से रस ले रही थी । वह एक फुल से दूसरे फूल पर जाती , मेहनत से रस इकठ्ठा करती फिर छत्ते की ओर उड़ जाती। रोहन से उत्सुकता से पूछा , अरे o मधुमक्खी, तुम इतनी मेहनत क्यों करती हो ? रोज रोज ये उड़ना और काम करना क्या थकाऊ नहीं होता है । मधुमक्खी मुस्कुराई और बोली , मै रोज मेहनत करती हु क्योंकि मेरी मेहनत से शहद बनता है, जो औरों के काम आता है । अगर मै काम नहीं करूगी तो मेरा छत्ता खाली रहे जाएगा और मेरे परिवार को भूखा ...

नटखट चूहा

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नटखट चूहा एक बड़े अनाज के गोदाम में बहुत सारे चूहे रहते थे । वहां अनाज की भरमार थी गेहूं , चावल , दाल ओर इसी कारण चूहों का जीवन बड़ा आराम दायक था । इन्हीं में से एक था चिंटू , जो सबसे छोटा ओर सबसे नटखट चूहा था । उसकी शरारतों का कोई अंत नहीं था । कभी वो दूसरों की पूंछ पकड़ लेता , कभी चुपके से उनके खाने का अनाज चुरा लेता , तो कभी गेहूं के ढेर में कूद कूद कर सबका ध्यान भंग करता । बूढ़ा चूहा "दादू" अक्सर समझता बेटा चिंटू मस्ती करना फिर भी ठीक है लेकिन सावधानी भी जरूरी है । यहां हर दिन खतरा मंडराता रहता है। चिंटू हंसते हुए कहता है अरे दादू , मै भी तो सबसे तेज हुए , मुझे कौन पकड़ेगा। ओर फिर उछल कूद करने लगता है । कुछ दिनों बाद गोदाम मै एक नई मुसीबत आई एक बड़ी , सफेद , होशियार बिल्ली जिसका नाम सिम्बा था , उसकी चाल धीमी , पर निगाहे तेज ओर पंजे बहुत फुर्तीले थे । पहले ही दिन , चूहे डर के मारे अपनी अपनी बिल मै दुबक गए । लेकिन चिंटू तो , चिंटू था । उसने सबको चिढ़ाते हुए कहा , अरे ये बिल्ली भी क्या चीज है देखना मै उसके सामने से दौड़कर जाऊंगा ओर ये कुछ नहीं कर पाएगा। सभी ने मना किया ,...

होशियार बिल्ली और उसके बच्चे

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होशियार बिल्ली और उसके बच्चे एक सुन्दर छोटे से गांव मै एक बिल्ली रहती थी जिसका नाम मिनी था। मिनी बहुत समझदार थी उसके तीन बच्चे थे , टोपा ,चुन्नी , मुन्नी । ये तीनों बच्चे बहुत ही नटखट ओर खेल खेल में मस्त रहते थे । मिनी हमेशा अपने बच्चों को समझाती थी कि ताकत से ज्यादा जरूरी समझदारी है । एक दिन गांव के पास के जंगल मै एक भूखा भेड़िया घूम रहा था । भेड़िए को देखकर सभी जानवर डर गए थे क्योंकि वह बहुत तेज ओर खतरनाक था ।अचानक बिल्ली के बच्चों को देखने लगता है। उससे लगा कि ये बच्चे उसके खाने के लिए अच्छा शिकार है। भेड़िया बच्चों के देख तेजी से उनके पीछे भगा । तीनों बच्चे डर गए ओर अगल अलग जगह छुपने लगे । मिनी ने बच्चों की चीख सुनी ओर तुरंत समझ गई कि भेड़िए आ गया है । उसने जल्दी से सोचा मुझे कुछ समझदारी दिखानी होगी तभी बच्चे सुरक्षित रहे पाएंगे। मिनी ने अपने तेज दिमाग का इस्तेमाल किया । उसने गांव के किनारे एक पुरानी झोपड़ी के पास जाकर जोर जोर से सौर मचाने लगी सुनो सुनो यहां एक बड़ा शिकारी है , जो गांव के जानवरों को पकड़ने आया है। जो कोई भी यह है जल्दी भागों। भेड़िया जो झाड़ियों मै खड़ा था वो ...

नन्ही चिड़िया की बड़ी उड़ान

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नन्ही चिड़िया की बड़ी उड़ान एक हरे-भरे जंगल में, रंग-बिरंगे फूलों और ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच एक प्यारी-सी नन्ही चिड़िया रहती थी। उसका नाम मीठी था। उसका रंग हल्का नीला था, आँखें चमकदार और आवाज़ बहुत मधुर। मीठी को दिल से उतनी ही कोमलता मिलती थी, वह खुद थी। हर सुबह सूरज की पहली किरण के साथ मीठी उठती और चहचहाते हुए पूरे जंगल में उड़ान भरती। वह तितलियों के पीछे उड़ती, नदियों के किनारे जाती और बच्चों को अपना गीत सुनाती।जंगल मै और भी बहुत से जानवर थे चिल मोर तोते कबूतर लेकिन मीठी सबसे अलग थी , जंगल में सब उसे बहुत पसंद करते। मीठी सबसे अच्छे व्यवहार और दूसरों की मदद करना बहुत पसंद करती थी। एक दिन, गर्मी बहुत ज़्यादा पड़ रही थी। दोपहर थी, की अचानक जंगल में कहीं से आग लग गई। हवा में धुआँ भर गया और पेड़-पौधे जलने लगे। जानवर इधर-उधर भागने लगे। बड़ी चीलों ओर तेज उड़ने वाली चिड़ियों ने कहा — "हमें जल्दी ही यह जंगल छोड़ देना चाहिए । मीठी ने भी धुएँ देखा, लेकिन वह भागी नहीं। उसका दिल किसी अपने की तरह धड़क उठा। उसने देखा कि कुछ छोटे-छोटे नन्हे खरगोश, आग में फंसे हुए घोंसले जाल रहे है। अगर मै क...

समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल

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समझदार मछली और मगरमच्छ का जाल बहुत लम्बे पहले की बात है। एक सुन्दर साफ और बड़ी झील में कई तरह की मछलियाँ रहती थीं - लाल, नीली, पीली, छोटी, बड़ी। सभी खुशहाल थीं। झील के किनारे पेड़-पौधे भी थे और पानी में कमल के फूल खिले रहते थे। उसी झील में एक बुढ़ा मगरमच्छ रहता था।जब वह जवान था तो बहुत तेज़ तैरता था और मछलियाँ पकड़ कर खा जाया करता था, लेकिन अब वह बूढ़ा हो गया था, उसके दाँत कमजोर हो गये थे और शरीर में ताकत भी कम हो गई थी। उसे कई दिनों से मछली खाने को नहीं मिली थी, जिस कारण वह और भूखा हो गया था। वह सोचने लगा - "अब मछली पकड़ना मेरे बस की बात नहीं है। क्यों न उन्हें धोखा देकर पकड़ा जाए अगले दिन वह झील के किनारे पेड़ के नीचे लेट गया और आँखों से पानी बहाने लगा। पास ही एक होशियार छोटी लाल मछली खेल रही थी। उसने मगरमच्छ को रोते देखा और पूछा, “मगरमच्छ जी, आप क्यों रो रहे हैं मगरमच्छ ने गहरी साँस लेकर कहा: “बेटी, मैं बहुत बुरा हूँ। मैंने अपने जीवन में बहुत सारी मछलियों को खा लिया है। अब मैं बूढ़ा हो गया हूँ और पछता रहा हूँ। अब मैं किसी को नहीं खाऊँगा। मैं चाहता हूँ कि सभी मछलियाँ मेरी मित्र ...

टिंकू और जादुई तितली की दोस्ती

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टिंकू और जादुई तितली की दोस्ती एक गांव मै टिंकू नाम का एक बालक अपने माता पिता के साथ रहता था । सात साल का टिंकू बेहद चंचल ओर उत्साही था । उसका मन हमेशा खेतों , जंगलों ओर फूलों पे मंडराने वाली तितलियों मै ही लगा रहता था । वह तितली पकड़ने मै इतना मगन हो जाता था कि भूल जाता था कि वह कभी कभी उनके पंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है । उसके गांव मै एक बड़ा सा आम का बगीचा था , जहां रंग बिरंगे तितली आकर फूलों का रस पीती , उन्हें देख ऐसा लगता था कि किसी मेले मै रंग बिरंगी पतंगे उड़ रही है। एक दिन टिंकू ने सोचा आज मै सुबह सुंदर तितली पकडूंगा or उसे अपने डिब्बे मै रखूंगा । मै उसे स्कूल में सबको दिखाऊंगा ।वो अपने हाथ मै एक छोटा सा डिब्बा ओर जाल लेके बाग मै गया । उसने एक नीले पीले रंग की एक बेहद खूब सूरत तिल्ली देखी जो एक गेंदे के फूल पर बैठी थी। टिंकू ने धीरे से उसके ऊपर जाल डाला और उसे पकड़ लिया। और टिंकू खुशी से चिल्लाया " मैने पकड़ लिया! मैंने पकड़ लिया!  पर तभी उस तितली ने कुछ फड़फड़ाने के बाद धीमी और कोमल सी आवाज में कहा " टिंकू! मुझे जाने दो। तुम्हे मुझे कैद नहीं करना चाहिए ये गलत बा...

आरव का बगीचा । Arav ka bageecha

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आरव और उसका हरा दोस्त एक समय की बात है सोहनपुर नामक एक गांव मै एक छोटा सा बच्चा रहता था उसका नाम आरव था। आरव बहुत ही हसमुख ओर चंचल संभव का था । वह अपने से बड़े छोटे सबसे प्यार से बोलता से । आरव की एक खास बात ये थी कि उससे पेड़ पौधे , बगीचे, जानवर , बहुत ही जड़ पसंद थे उसे पेड़ो की हरियाली अपने तरफ अट्रैक्ट करती थी । उससे जानवरों के साथ भी खेलना बहुत पसंद था । आरव जहां रहता था उसके घर के बगल मै एक खाली मैदान था जहां पर वह अपनी दादी के साथ अक्सर टहलने जाया करता था । दादी ने उसे बताया कि पहले ये खाली मैदान नही था । पहले यहां पेड़ पौधे हुआ करते थे बड़े बड़े आम , अमरूद , नीम के पेड़ होते थे । रोज शाम को बच्चे यहां खेलने आते थे और बड़े बुजुर्ग यह टहलने आते थे । फिर फिर धरी धरी आस पास के लोगों ने यह के पेड़ काट दिए ओर आज ये इस तरह से खाली मैदान बन गया । दादी ये सब बताते हुए उदास सी हो गई यह देख आरव ने कहा कोई बात नहीं हम फिर से इस खाली मैदान को हर भरा कर देंगे । यह सुनकर दादी आरव की तरफ देखती है और एक प्यारी सी मुस्कान देके आगे बढ़ जाती है। अगले दिन आरव स्कूल जाता है आज स्कूल मैं पर्यावरण ...